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Md Aadil Shamim | Jammu
शीर्षक से प्रकाशित संपादकीय आलेख में महंगाई दर के नियंत्रण के बारे में चर्चा सार्थक है। वैश्विक एजेंसियों के अनुमान के मुताबिक महंगाई और विकास को लेकर संतुलन रखने की बात कही है। विभिन्न रिपोर्टों के मुताबिक वर्तमान अर्थव्यवस्था अच्छे दौर में है। ऐसे में मूडीज के 7.2 प्रतिशत वृद्धि के अनुमान के मुताबिक यह राहत देने वाली बात है। अपने आपूर्ति क्षमता में सुधार से भारत आने वाले दिनों में महंगाई दर को कम कर सकता है। विभिन्न उद्योग संगठनों द्वारा ब्याज दर में कटौती, वहीं दूसरे तरफ उपभोक्ता वर्ग महंगाई पर ठोस कदम उठाने की बात कह रहा है। यह तथ्य सही है कि ब्याज दर घटाने या बढ़ाने का फैसला खाद्य महंगाई के खिलाफ लेना सही नहीं है। हालांकि आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने मौद्रिक नीति से महंगाई के नियंत्रण पर भारतीय अर्थव्यवस्था का सुचारू रूप से चलने की बात कही है। लेकिन खाद्य पदार्थों की महंगाई रोकने के लिए कहीं ना कहीं दीर्घकालीन व्यवस्था के बारे में सोचना ही होगा। इसमें बफर स्टॉक और पर्यावरण के संतुलन को भी जोड़ना होगा, क्योंकि आए दिन पर्यावरण असंतुलन से जलवायु परिवर्तन के फलस्वरूप मानसून पर भी बुरा असर पड़ रहा है। जिससे फसलों के साथ-साथ उत्पादन पर भी असर पड़ता है और यही असर अक्सर महंगाई में तब्दील हो जाती है।

